Shree Mahavir Swami Temples in Sanchore
Kevin Pareek
December 23, 2019
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श्री महावीर स्वामी नमः।।
– जयउ वीर सच्च उरि मंडण-
महावीर स्वामी मंदिर सांचौर
प्रभु महावीर के चरण कमल से पवित्र सत्यपुर नगर में आठवे तीर्थकर श्री चन्द्र प्रभ स्वामी भगवान भी यहाँ पाँच दिन ठहरे हुए है। इस तीर्थ की वदना अनंत लब्धि निधान श्री गुरू गौतम स्वामीजी महाराज ने जगचिंतामणी सूत्र के माध्यम से की है।
राजनो ददते सौख्यम् शब्द के आठ लाख अर्थ केमाध्यम से अष्टलक्ष्मी ग्रंथ की रचना करके जगत को
सम्मोहित करने वाले महोपाध्याय श्री समयसुंदरजी महाराजकी यह जन्मभूमि रही है। ( 17 वीं सदी) अंतरिक्ष पार्श्वनाथ दादा के प्रभाव से आंखो की रोशनी प्राप्त करने वाले एवं अंतरिक्षजी तीर्थ का जीर्णोद्वार करने वाले महोपाध्याय श्री भाव विजयजी महाराज की भी यह जन्म भूमि रही वि.सं 1081 में पंडित कवि धनपाल ने भी श्री सत्यपुर मंडन महावीरोत्साहकाव्य ग्रंथका सर्जन करके इस तीर्थ की महिमा गाई है।
कवि कालिदास ने भी इस भूमि पर एक महिना निवास किया था। अल्लाउद्दीन खीलजी,मम्महद गजनी आदि अनेक मुस्लिम आक्रमणकारियों ने अनेक बार इस तीर्थ को विध्वंस करने की कुचेष्टा की,लेकिन प्रभु वीर के तीर्थ अधिष्ठायक श्री ब्रहनशांति यक्ष के प्रभाव से इस तीर्थ की महिमा बार-बार फेलाती रही जो आज भी मौजुद है।आज यहाँ अनेक जिनमंदिर एवं शिव,कृष्ण, राम.देव देवीओं के मंदिर भी जनमन की आस्था के प्रतिक है। वह व्यापार का भी स्थान है बहार से आकर भी लोगो ने यहाँ पर निवास किया।
यहाँ की पंचरंगी प्रजा बहुत भद्रिक भक्ति-भाव सम्पन्न-परमात्मा एवं संतो के प्रति बहुमान भाव वाली है। साथ ही परम्परा रिति-रिवाजो में निष्ठा रखनेवाली एवं नैतिकता,प्रमाणिकता,
सहायकता गणो से सम्पन्न है। यह सब प्रभु की कृपा साक्षात् अनुभव सत्यपर (सांचौर ) नगर में हो रही है।
सेकड़ो ( अनेक) साधु साध्वीजी भगवंतो की यह जन्मभूमि है। इनमें से कितने आचार्य भगवंत हुए एवं अनेक विद्वना मनिजन एवं विद्याव्यासंगी प्रजाजनो के चरणो में वंदनावली यह नगर उत्तरोन्तर प्रगति करता रहे वही शुभ कामना।
अहिंसा परमों धर्म
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