Dhabavali Mata Mandir Khasarvi
Kevin Pareek
December 23, 2019
Mandir
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ढब्बावाली माता मंदिर खासरवी
ढब्बावाली माता मंदिर राजस्थान के जालौर जिले के सांचौर तहसील से 35 किलोमीटर दुरी पर उतर पश्चिम दिशा में आया हुआ है । राजस्थान की पूज्य भूमि पर एक देवी पीठ है जो सांचौर के खासरावी गाव की पावन भूमि पर विराजमान है । यह सिद्ध देवी पीठ भगवती ढब्बावाली माता के नाम से संसार भर में विख्यात है।
इस महाशक्ति के दरबार में राजस्थान से लेकर नेपाल तक कामरू से कश्मीर तक तथा कश्मीर से कन्याकुमारी तक अगिनत भगत व् साधक आते है माँ ढब्बा वाली की प्राचीन मूर्ति काष्ठ की है।
भटवा वर्तमान भाटवास के संस्थापक राव हीरा जी माताजी के अनन्य भक्त थे।
उनके सेनिक ढबाजी कोली माता के शक्तिपीठ के उन्नत धोरे का चयन किया । ढबाजी माँ के परम भक्त थे । राव हीरा जी के वंशज आज भी भाटवास में निवास करते है।
वह मुनेला प्रतिहार शासनिक राव सरदार है| अपने भक्त ढब्बा जी का नाम अमर करने के लिए माँ भगवती ने अपने आप को ढब्बा जी भक्त नाम में शामिल कर लिया और कहलाने लगी “ढब्बा और वाली” यानि ढबाजी तो भक्त का नाम था जो इस महाशक्ति का सच्चा उपासक था और वाली का अर्थ उपनाया उसका यह शब्द उपशब्द में आता है।
महादेवी ने अपने नाम का परित्याग करके अपने भक्तो के नाम में ही समा गई और कहने लगी ढब्बा वाली माता जी माताजी के इस मंदिर में हर माह की पूर्णिमा को मेला लगता है जिसमे हजारो की संख्या में श्रद्धालु माँ के द्वार पर माथा टेकने आते है यहाँ से जुडी एक खास बात यह है की माता जी भोग लगाई हुई प्रसाद हम खासरवी क्षेत्र से बाहर नही ले जा सकते आवागमन रास्ता वाली के मंदिर तक पहुँचने के लिए सांचौर एवं रेडियो से बस सुविधा है आसानी से मिल जाती है।
हर मास की पूर्णिमा को संख्या में लोग यहाँ पहुचकर मनो क्यों मनाते है यहाँ आजादी से पहले मंदिर में पाकिस्तान से भी श्रद्धालु आते थे जय माता दी ढब्बा वाली माँ।
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